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कृपालु महराज की यह कैसी कृपा है जिसे पाने की चाह में दर्जनों लोगों ने जिंदगी गंवा दी। गरीबों को नहीं मालूम था कि जिस प्रसाद और कपड़े और बर्तन के लिए उन्हें न्यौता मिला है वह दरअसल यमराज का बुलावा पत्र है। प्रसाद के रूप में मिलने वाले इन वस्तुओं की लालसचा में पहुंची भीड़ अनियंत्रित हो जाने के कारण भयावह हादसे का शिकार हुई। इन दिनों ऐसा दौर चल रहा है जब तथाकथित गुरुओं द्वारा अपना महिमा मण्डन कराने के लिए कुछ भी किया जा सकता है। कोई खुद को लाडेश्वर बता रहा है तो कोई ईश्वर का औतार। लाइलाज बीमारियों को दूर करने के नाम पर देश की गरीब, बेबश और लाचार जनता को छला जा रहा है, उन्हें ठगा भी जा रहा है। प्रवचन और कथाओं के नाम पर साधुवेशधारियों की दुकानें च;ल रही हैं। यहां यह कहना जरूरी है कि हर साधु और सन्यासची ढोंगी या फ्राडज्ञ नहीं हैं लेकिन इनके बीच दस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो धर्म की आड़ में खुद का गुणगान और वंदन कराने को विवश करते हैं। शासन और प्रशासन को ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके विरुद्व कार्रवाई करनी चाहिए जिससे भोली-भाली जनता बेमौत न मरे। यूपी के प्रतापगढ़ जिले की कुण्डा तहसील क्षेत्र में कृपालुजी आश्रम पर गुरुवार को हुआ हादसा कलियुग के पोगापंथी गुरुओं की असलियत उजागर करने को काफी है। इस कृत्य के लिए दोषियों को जितनी कठोरतम सजा दी जाय वह कम है। इस हादसे के लिए कृपालु महराज और उनके कार्यक्रम के संयोजक जितने जिम्मेदार हैं उससे कम प्रशासन भी नहीं है। कार्यक्रम में हजारों की भीड़ जुटना जगजाहिर थी इसके बावजूद प्रशासन की ओंर से भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था नहीं की गई।
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