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सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा देंने वाली प्रदेश्ा की बसपा सरकार में अपराधियों की फौज उसके ही लिये मुसीबत बन रही है। हालात तो यहां तक पहुंच गये हैं कि इस दल की ओट लेकर अपराधी फोरस की हाथी की तरह अपनी ही सेना को कुचल रहे हैं। ताजा घटना कुछ ही दिन पहले गोण्डा में हुई। बाबा साहब के जन्मदिन पर केन्द्र सरकार के विरुद्ध चल रहे धरना के दौरान सभा मंच पर ही तथाकथित बसपा नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर इत्मिनान से फरार हो गये। इस घटना के बाद दो तरह के खुलासे हुए। पहला राजनीति पर अपराधियों का किस कदर कब्जा हो गया है ?और दूसरा बड़े नेताओं के चाल और चरित्र का। घटना के बाद जिले के पदाधिकारी से लेकर शासन और प्रशासन ने अपनी ज्यादा ऊर्जा इस बात पर खफा डाली कि मारा गया कथित नेता पार्टी का नेता नहीं बल्कि अपराधी था। वह हिस्टीशीटर होने के साथ ही हत्या जैसी संगीन घ्ाटना का मुल्जिम भी था। अब इस दावे को नादानी माना जाय या राजनीति में ऊंचे मुकाम पर बैठे नेताओं का दोहरा चरित्र ? जो भी कहा जाय कम है। सवाल उठता है कि मारा गया व्यक्ति अपराधी था तो वह पार्टी के मंच पर क्या कर रहा था ? कार्यक्रम के लिए शहर भर में उसके द्वारा लगाई गई बड़ी-बड़ी होर्डिंग और बैनर कैसे लगे ? उनमें स्थानीय नेताओं के साथ ही हाईकमान तक की फोटो और संदेश कैसे अंकित थे ? बहरहालयह ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब पार्टी पदाधिकारियों के पास नही है। यह तो रहा घ्ाटना का एक पहलू, दूसरा पहलू यह है कि वारदात के बाद कानून व्यवस्था के सवाल पर घिरी सरकार ने यह फैसला किया कि वह अपराधियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखायेगी। इसके लिए बहन जी के फरमान भी जारी हुए। सूचियां बननी शुरू हुईं और कतिपय जिलों में निष्कासन की कार्रवाई भी हुई लेकिन यह कार्रवाई सवालों के घेरे में हैं। कारण आधा दर्जन से लेकर दर्जनों मुकदमों की सूची वाले सफेदपोश अपने स्थान पर बरकरार हैं। इतना की नहीं पुलिस की सूची में जो माफिया के रूप में दर्ज हैं उनके बारे में भी निर्णय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पार्टी को दागियों की छवि से बचाने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं। किसी भी जिले में देख लीजिये वहां सत्तादल में शामिल ऐसे लोग मिल जायेंगे जिनकी तलाश मं कल तक पुलिस हाथ धोकर पड़ी थी लेकिन उनकी दलीय निष्ठा बदलते ही मानों पुलिसवालों को सांप सूंघ गया। यह हालात सिर्फ सत्तादल के नहीं हैं बल्कि अन्य कई दलों में भी अपराधी पार्टी की गतिविधियों का संचालन करते दिख जाते हैं । यह बाद दीगर है कि विपक्षी दलों के लोग यह चुटकी लेने से बाज नहीं आते कि यदि बहन जी अपराधियों को निकाल देंगी तो फिर बचेगा कौन
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