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गरीबों के हक पर सयानों का डाका

अजेय
अजेय
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 नाम अयोध्या प्रसाद पुत्र रामजतन। ग्राम रुहियावां, तहसील सदर। ये जनाब ग्राम प्रधान हैं जिनकी आमदनी दर्शायी गई है तीस हजार सालाना। चार बीघे खेत हैं, चार बिस्वा में पक्का मकान है, टीवी और मोटर साइकिल भी है। इसके बावजूद इन्हें गरीबी रेखा के नीचे माना गया है। नतीजतन प्रधान जी बीपीएल कार्ड संख्या 41155 के जरिये न केवल सरकारी खाद्यान्न गटक रहे बल्कि सरकार द्वारा संचालित अन्य योजनाओं का भी लाभ उठाने में पीछे नहीं रहे। यह तस्वीर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में व्याप्त अंधेरगर्दी की नजीर भर है। हर जिले में ऐसे हजारों लोग हैं जिनके पास अच्छा मकान, वाहन है और नौकरीपेशा होने के साथ ही अन्य आधुनिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण हैं। फिर भी वे गरीबों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। जिले के मवई ब्लाक अन्तर्गत ग्राम पंचायत अशरफनगर में दर्जन भर ऐसे लोगों को बीपीएल कार्ड जारी हैं सरकारी आंकड़ों में जिनकी आमदनी 20 से 25 हजार के बीच है। इनमें अनुसूचित जाति के तुलसीराम पुत्र हरिचरन हों या रामबरन पुत्र निरहू अथवा पिछड़ी जाति के श्रीनाथ पुत्र सालिगराम। माधुरी पत्‍‌नी राममिलन, रामखेलावन पुत्र चंदी, भवानी प्रसाद पुत्र बिरजू, बाबादीन पुत्र बाबूलाल व भगौती पुत्र पंचम ऐसे कार्डधारकों में शुमार हैं जो भवन स्वामी भी हैं और आमदनी भी निर्धारित मानक से अधिक है। यह तो गड़बड़ी वाले सिक्के का एक पहलू है। दूसरा तो इससे भी चौंकाऊ है। कई परिवार ऐसे हैं जिनकी आमदनी सौ रुपये महीने दर्शायी गई है। जरा सोचिये! इतनी आमदनी में कैसे उनकी जीवन नैया चल रही है। मिल्कीपुर तहसील अन्तर्गत अगरबा ग्राम पंचायत में दो दर्जन बीपीएल कार्डधारकों की सालाना आमदनी मात्र बारह सौ रुपये दर्शायी गई है। ऐसे कार्डधारकों में रामअम्बर पुत्र मुन्नीलाल, तुलसीराम पुत्र चन्द्रपाल, जुमई पुत्र सकूर, घनश्याम लाल पुत्र रामकेवल, जमुना प्रसाद पुत्र बुद्धू, रमुनहव पुत्र बलिराम, सीताराम पुत्र धमसादीन, सीताराम पुत्र सर्वादीन, हौसिला प्रसाद पुत्र रामजियावन, समद खां पुत्र सत्तार खां, रमेश कुमार पुत्र राधेश्याम, दशरथदीन पुत्र कल्लू, रामदयाल पुत्र संतराम, रामनिहोर पुत्र महराजदीन, कुलदीप पुत्र रामअचल, मोहम्मद वारिस पुत्र मोहम्मद शरीफ व रामउजागिर पुत्र शिवपाल आदि शामिल हैं। यह स्थिति तब है जब इन कार्डधारकों के पास निजी मकान और पांच से दस सदस्यों का परिवार भी है। यह हालात तब हैं जबकि केन्द्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी जैसी योजना लागू हैत्र  योजना लागू है।

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