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रुपये की खातिर : बाप बना जल्‍लाद

अजेय
अजेय
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सुनीता और अनीता नाम की दो सगी बहनों के अचानक गायब होने की खबर से पुलिस जहां सन्‍न रह गई वहीं आस-पड़ोस के लोग अवाक। हर कोई अपने-अपने दिमाग से इस घटना के बारे में सोचने को मजबूर हुआ। मामला नाबालिग लड़कियों था इस कारण आम तौर पर पुलिस या हर जानकार सख्‍स इसे प्रेम-प्रपंच से जुड़ा मानकर अपहरण की घटना का अंदाज लगाता रहा। घटनास्‍थल दो थानों क्षेत्रों के बीच का होने के कारण पहले पुलिस टाल-मटोल करती रही लेकिन दो दिन बाद जब दोनों लड़कियों के शव तमसा नदी से बरामद हुए तो उसकी सारी सुस्‍ती काफूर हो गई। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को स्‍थानीय लोगों के विरोध व आक्रोश का भी सामना करना पड़ा। किसी तरह आंदोलित भीड़ को समझाकर अधिकारियों ने शवों को पोस्‍टमार्टम के लिए भेजा। इसके बाद उसने छानीबन भी तेज कर दिया। इस डबल मर्डर में लड़कियों के पिता ने गांव के ही प्रहलाद नामक युवक का हाथ होने की आशंका जताई तो पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले लिया। घंटों तक अभिरक्षा में रखकर उससे पूछताछ की गई लेकिन वह अनजान आदमी भला क्‍या बता पाता। इस कारण पुलिस ने अपनी छानबीन की दिशा बदल दी और वादी मुकदमा तथा उसके कथित भतीजे को साथ लेकर तफ़तीश शुरू कर दिया। पुलिस वहां-वहां गई जहां-जहां लड़कियों के जाने की बात कही गई थी। छानबीन के दौरान पुलिस ने मनोवैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया। इसके जरिये रामकिशुन निषाद व उसके भतीजे पवन को अलग-अलग कर बातचीत की गई। इसके बाद जब दोनों के बयान मिलाए गये तो वे विरोधाभाषी रहे। इससे पुलिस का शक और गहरा हो गया। इन्‍हीं दोनों के जरिये घटना का क्‍लू मिलने की आस लिए पुलिस उन्‍हें लेकर उन रास्‍तों से गई जिनसे आवागमन की बात कही जा रही थी। दोनों द्वारा बताए गए रास्‍ते के भटकाव ने पुलिस की जांच को दिशा दे दी। इसके बाद जब उसने सख्‍ती शुरू किया तो सारा मामला खुल गया। घटना के पीछे जो कारण हैं उसे जानकर हर कोई पुत्री हंता पिता से घृणा ही नहीं करेगा बल्कि उसे स्‍वयं सजा देने को तैयार हो जाएगा। शातिर दिमाग रामकिशुन के पांच बच्‍चे हैं उसने सभी बच्‍चों का जीवन बीमा करा रखा है। बीमे की किस्‍त नहीं दे पाने की वजह से पालिसी लैप्‍स हो गई थी लेकिन उसे इसके जरिये फायदे याद आई तो लेटफीस देकर पुन: चालू करा दिया। तीन महीने से वह अपनी बेटियों को मारकर बीमे की रकम हासिल करने की जुगत में लगा रहा। इस काम के लिए कोई सहयोगी नहीं मिला तो उसने गांव के ही रिश्‍ते के भतीजे को मिला लिया। उसे 50 हजार रुपये व मोटर साइकिल देने का लालच देकर फुलप्रूफ योजना तैयार किया। उसी योजना के तहत दोनों लड़कियों को किताब व कपड़े दिलाने के बहाने शहर लाया गया। रात का इंतजार करने के लिए उन्‍हें पिक्‍चर भी दिखाया गया। इसके बाद घर वापसी के समय सुनसान रास्‍ते पर सुपारी किलर पवन ने दोनों की हत्‍या कर नदी में फेंक दिया। अब इस घटना की हकीकत सुन हर बेटियों के जेहन में यह बात उठ रही होगी काश कलियुगी बाप उनके हाथ लग जाता तो उसे वह खुद ही सजा देतीं। इस दुखद घटना ने जहां आम जनमानस को झकझोर दिया वहीं समाज में हो रहे नैतिक पतन और रुपये की लालच में रिश्‍तों का खून होने की बानगी भी पेश की है।

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