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पर्यटन के नक्‍शे पर नहीं आ सकी अयोध्‍या

अजेय
अजेय
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अयोध्या, प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली होने के साथ ही सिख, जैन व मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जानी वाली अयोध्या पर्यटन के लिहाज से पूरी तरह बंजर है। इस धर्मनगरी तक पहुंचने के लिए न तो सड़क व रेल परिवहन की माकूल व्यवस्था है और न ही ठहरने के लिए अच्छे होटल और गेस्टहाउस। मनोरंजन की सुविधाएं तो पूरी तरह बेमानी हैं। ऐसे में विभिन्न धर्मो के पवित्र स्थल और कलकल करती पतित पावनी सरयू की जलधारा ही यहां आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र है। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि बस पुण्य लाभ ही लोगों को यहां खींच लाता है।

अयोध्या से परिवहन सेवाओं की बात करें तो मथुरा, काशी और संगम से सीधे आवागमन के लिए ट्रेनों की सीधी सुविधा नहीं है। इस नगरी के नाम पर राजनीतिक दलों ने भले ही रोटियां सेंकी पर एक अदद ट्रेन अयोध्या के नाम पर नहीं चल सकी। वहीं सड़क परिवहन के नाम पर धर्मनगरी में अन्तरराज्यीय बस अड्डा तक स्थापित नहीं हो सका। ऐसे में अयोध्या पहुंचने को निजी वाहनों अथवा प्राइवेट टैक्सी वाहनों का ही सहारा है। अयोध्या आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए अच्छे होटलों का अभाव है। यहां पर्यटन विभाग की ओर से होटल साकेत तो वर्षो पहले स्थापित किया गया पर वह इन दिनों बदहाली की भंवर में है। इस होटल में भी आधुनिक सुख-सुविधाओं का अभाव है। इस कारण पर्यटक उसमें जाने से कतराते हैं। मनोरंजन अथवा घूमने-फिरने के लिए धर्मनगरी में सुविधाओं का अकाल है। यहां राजघाट पार्क और चौधरी चरण सिंह घाट ही ऐसे स्थल हैं जहां कुछ देर तक बैठा जा सकता है। बदइंतजामी के कारण ये स्थल भी अपना आकर्षण खो रहे हैं। इतना ही नहीं सुरक्षा के नाम पर दिन-ब-दिन बढ़ रही सख्ती के कारण पर्यटकों का अयोध्या के प्रति मोह और भी भंग होता जा रहा है। माल, रेस्तरां और मनोरंजन के साधनों का अभाव भी उन्हें अयोध्या से विमुख कर रहा है। शायद यही कारण है कि अयोध्या आने वाले पर्यटकों की तादाद में इजाफा नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2006 में यहां कुल 61693 देशी व 416 विदेशी पर्यटकों की आमद दर्ज है। वर्ष 2007 में यह संख्या 70145 व 558 रही जबकि 2008 में 60614 देशी व 1228 विदेशी पर्यटक आये। वर्ष 2009-10 का आंकड़ा नहीं मिल सका। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी राजेन्द्र कुमार रावत ने स्वीकार किया कि अयोध्या में लोग धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से आते हैं जिनके लिए यहां कई प्रमुख स्थल हैं।

अधूरे ही रहे ये ख्वाब

अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संकुल– 12 सौ करोड़ की इस परियोजना में रामकथा के विविध प्रसंगों पर आधारित दृश्यों सहित पार्क, संग्रहालय, आर्ट गैलरी, प्रशासनिक भवन, आडोटोरियम, ओपेन एअर थिएटर, फाइव स्टार होटल का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए करीब 45 एकड़ भूमि की जरूरत है जिसे पांच साल भी प्रशासन खोज नहीं सका।

शिल्पग्राम– चार करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का शुभारंभ प्रदेश की मुख्यमंत्री ने गत वर्षो में ही कर चुकी हैं। शिल्प ग्राम में रामकथा से जुड़े प्रसंगों की प्रदर्शनी व स्टाल का निर्माण प्रस्तावित है। बताते हैं कि इस परियोजना के लिए आधा धन केंद्र व आधा राज्य सरकार देगी। प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है पर वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल सकी।

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