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अयोध्‍या की उपेक्षा : खतरे में है ऐतिहासिक कुंडों का वजूद

अजेय
अजेय
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अयोध्या, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन से जुड़ाव के कारण गहरी आस्था का विषय होने के बावजूद रामनगरी के कुंड अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं। अवैध कब्जों की भरमार से यह धरोहर नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है प्रशासन बेफिक्र है। हालत यह है कि प्रमुख पर्वों पर लाखों श्रद्धालुओं की आमद के दौरान भी सफाई नहीं कराई जाती। अयोध्या के प्रमुख कुंडों में से एक दंतधावन कुंड है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम इसी कुंड पर दातून करते थे। इसी कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस कुंड पर ‘मत्थवान’ करने आते हैं। इसी प्रकार सूर्यकुंड की भी एक विशिष्ट पहचान है। यहां सूर्यदेव का मंदिर और पवित्र कुंड श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। रामनगरी से सटी दर्शननगर बाजार में स्थित सूर्यकुंड के बारे में किंवदंती है कि इस मंदिर और कुंड का निर्माण प्रभु राम के वंशज राजा दर्शन ने कराया था। इस कुंड में स्नान करने से जहां पुण्य लाभ मिलता है वहीं चर्म रोगों से भी मुक्ति मिलती है। दर्शननगर-अयोध्या मार्ग पर स्थित खजुहा कुंड भी अपनी विशिष्टता के विख्यात है। कहते हैं कि खुजली और अन्य चर्म रोग होने से पीड़ित लोग यदि इस कुंड में स्नान कर पुराने वस्त्र वहीं छोड़कर नए वस्त्र धारण कर लेते हैं तो उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा अयोध्या में विभीषण कुंड, सीता कुंड व लक्ष्मण कुंड समेत दर्जनों कुंड विभिन्न मंदिरों के निकट व मोहल्लों में मौजूद हैं। सभी कुंडों का अलग-अलग महत्व हैं। इनमें से खजुहा कुंड समेत कई कुंड अब अपना वजूद खोने की कगार पर हैं। अतिक्रमण और अवैध कब्जे के कारण इन ऐतिहासिक कुंडों पर ग्रहण लग गया है। कई कुंडों के आसपास तो रिहायशी भवन व दुकानें बना ली गई हैं। गंदगी और कूडे़ का ढेर लगा होने के कारण वहां जाना भी मुश्किल है। प्रशासन के स्तर से कुंडों के संरक्षण की दिशा में पहल नहीं किए जाने से उनका वैभव नष्ट होता जा रहा है।

करोड़ों रुपये की दरकार

अयोध्या के ऐतिहासिक कुंडों की सूरत बदलने के लिए पर्यटन विभाग व अयोध्या-विकास प्राधिकरण ने करीब पांच करोड़ रुपये की योजना तैयार की है। इस योजना को प्रदेश सरकार की स्वीकृति मिल चुकी है। केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए योजना को उसके पास भेजा गया है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी राजेंद्र कुमार रावत ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस धन से कुंडों को सहेजने और उनके सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा।

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