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स्मारक पर लटकता है ताला

अजेय
अजेय
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फैजाबाद, महान क्रांतिकारी अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की यादें सहेजने वाला स्मारक वर्ष पर्यंत ताले में बंद रहता है। इसके लिए मंडल कारागार की सुरक्षा का वास्ता दिया जाता है। ऐसे में सालभर में मात्र एक दिन 19 दिसंबर (शहीद दिवस) को ही आम जन इस शहीद स्थल का नजदीक से दीदार कर पाता है, बाकी दिन यह उपेक्षित ही रहता है।

लखनऊ जिले के काकोरी में नौ अगस्त 1925 को ट्रेन से जा रहा ब्रितानिया हुकूमत का खजाना लूटने की घटना हुई थी। इसमें पं.राम प्रसाद बिस्मिल के साथ अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह व राजेंद्र लाहिड़ी समेत आठ लोग शामिल थे। गिरफ्तारी होने पर इन्हें जेल में शारीरिक यातनाएं दी गई। साथ ही फासी की सजा भी सुनाई गई। इसी क्रम में अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद, राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर, रोशन सिंह को इलाहाबाद व राजेंद्र लाहिड़ी को गोंडा जेल में 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी। अमर शहीद अशफाक की यादें ताजा करने के लिए मंडल कारागार परिसर में उस स्थल को शहीद स्थल घोषित किया गया है जहां उन्हें फांसी दी गई थी। यहां हर साल शहीद दिवस पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद जेल प्रशासन की मदद से कार्यक्रम आयोजित करता रहा है इस बार इस पर भी ग्रहण लग गया !

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