पांच रुपये में लड़ गए चुनाव
धनबल व बाहुबल से बोझिल इस दौर की चुनावी प्रक्रिया वाले माहौल को देखते हुए शायद ही लोग यकीन करें कि महज पांच रुपये की पूंजी से श्रीराम द्विवेदी विधानसभा का चुनाव लड़े थे। तकनीकी कारणों से वह मात्र 213 मतों से पराजित हुए थे। मौजूदा दौर में पग-पग बदलती दलीय निष्ठा व व्यक्तिपरक मोह के बढ़ते चलन को देखने वाले शायद इस बात पर भी यकीन न करें कि दलगत निष्ठा से उपजे वैचारिक जुनून वाले बमुश्किल दो दर्जन कार्यकर्ताओं के बूते शहरी क्षेत्र को समाहित किए अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में चुनाव का शंखनाद करने वाले श्रीराम द्विवेदी का कारवां वास्तविक रूप से फतह हासिल करने वाला साबित हुआ। बात 1974 में हुए विधानसभा के आम चुनाव की है। तत्समय भारतीय क्रांति दल, मुस्लिम मजलिस व संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को मिलाकर भारतीय लोकदल का गठन हुआ था। श्रीराम द्विवेदी संसोपा घटक के राजनीतिक सिपाही थे। इसके तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनारायण की दखल पर श्रीराम द्विवेदी को अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया गया था। उस समय जयशंकर पांडेय, माताप्रसाद तिवारी, गंगाप्रसाद पांडेय, राममूर्ति सिंह आदि युवा कार्यकर्ताओं तथा संरक्षकों में शुमार वीरेश्र्वर द्विवेदी, चौधरी सिब्ते मोहम्मद नकवी, रमानाथ मेहरोत्रा, बाबू त्रिलोकीनाथ श्रीवास्तव आदि की सरपरस्ती में चुनावी मुहिम का आगाज हुआ तो श्रीराम द्विवेदी के पास मात्र पांच रुपये थे। समाजवादी कार्यकर्ताओं की वैचारिक निष्ठा व समर्पण भरी चारित्रिक कार्यशैली से प्रभावित न केवल आम लोग बल्कि विभिन्न वर्ग के बुद्धिजीवियों का रुझान भी समाजवादी योद्धा श्रीराम द्विवेदी के प्रति आकृष्ट हुआ था। नतीजतन व्यावहारिक रूप से चुनावी फतह की मंजिल पर पहुंचकर भी तकनीकी कारणों से मात्र 213 वोटों से द्विवेदी चुनाव हार गए थे।
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