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‘जानकी खेलन होरी, पिय संग चलीं

अजेय
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अयोध्या,  : रामनगरी के संतों की होली भगवान श्रीसीताराम की प्रसन्नता के लिए होती है। वसंत पंचमी से आरंभ होकर चैत्र कृष्णपक्ष पूर्णिमा अर्थात रंग पंचमी तक चलने वाला यह उत्सव रंगभरी एकादशी से चटख हो उठता है। रविवार को पड़ रही इस तिथि को हनुमानगढ़ी मंदिर के संत-महंत हनुमान जी महाराज के सामने एक-दूसरे से होली खेल पीठ के पवित्र निशान की छत्रछाया में यहां की पंचकोसी परिक्रमा करते हैं। इस दौरान संतों का विभिन्न मंदिरों में परंपरागत स्वागत होता है। कनक भवन, मणिराम दास जी की छावनी, श्रीरामवल्लभाकुंज, लक्ष्मण किला, सियाराम किला व रामहर्षण कुंज आदि मंदिरों में वसंत पंचमी के दिन से भगवान श्रीसीताराम के विग्रहों को अर्चकों द्वारा अबीर-गुलाल लगाकर होली के पदों का गायन का आरंभ हो जाता है। रंगभरी एकादशी को यह उत्सव चटख होकर चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी अर्थात रंगपचमी तक चलता है। इस बार रंगपंचमी 12 मार्च को पड़ रही है। सिद्धपीठ हनुमत निवास में गत मंगलवार को भगवान श्रीरामजानकी व श्री जानकी जी के स्वरूपों द्वारा पुष्प वर्षा व अबीर-गुलाल आदि से होली खेली गई। इसी परंपरा से जुड़े हनुमत किला व गहोई मंदिर में अगले मंगलवार अर्थात छह मार्च को परंपरा के तहत होली मनेगी। इस परंपरा के मंदिरों में फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक होली के पदों का गायन होता है। by rm

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